लगभग 30’ x 40’ क्षेत्रफल में अवस्थित पुस्तकालय में 26000 ग्रन्थों का विशाल संग्रह है. जयपुर राजपरिवार के संरक्षण में कार्य कर चुके संस्कृत विद्वानों का इतिहास भी पुस्तकालय के अनेक ग्रन्थों में उपलब्ध होता है.
पुस्तकालय की ग्रन्थ सूची का प्रथम ग्रन्थ विश्व साहित्य का प्रथम ग्रन्थ ‘ऋक्संहिता’ है. पुस्तकालय के संग्रह में जयपुर रियासत के अधीन संचालित पोथीखाने से प्राप्त अनेक अनेक महत्वपूर्ण हस्तलिखित ग्रंथ भी हैं। महाविद्यालय में संचालित संस्कृत से संबंधित समस्त वेद, धर्मशास्त्र, दर्शन, साहित्य, व्याकरण, ज्योतिष, दर्शन जैसे विषयों के अतिरिक्त अन्य आधुनिक विषयों यथा राजनीतिक विज्ञान, इतिहास, हिन्दी एवं अंग्रेजी से संबंधित पुस्तकों एवं शोध परक ग्रन्थों का इस पुस्तकालय में विशाल संग्रह है. वेद, पुराण, उपनिषद, गृह्यसूत्र, श्रौतसूत्र, शुल्बसूत्र, रामायण, महाभारत इत्यादि सभी प्रकार के प्राच्य विद्या के दुर्लभ ग्रन्थ, संस्कृत एवं संस्कृति सम्बन्धी ग्रन्थों को यह पुस्तकालय अपने में समेटे हुए है जिसका कि विद्यार्थी, शिक्षकगण एवं शोधार्थी निरन्तर लाभ ले रहे हैं.
यह पुस्तकालय संस्कृत जगत के साथ-साथ सामान्य जनमानस में भी अपना विशिष्ट स्थान रखता है. सामाजिक अथवा धार्मिक स्तर पर उत्पन्न कोई भी समस्या हो अथवा विद्वत्जनों के मध्य मतभेद, पुस्तकालय में अवस्थित प्राचीन प्रामाणिक ग्रन्थों यथा निर्णय सिन्धु, धर्मसिन्धु, जयसिंहकल्पद्रुम, समराङ्गणसूत्रधार की सहायता से सर्वमान्य समाधान किया जाता है. संस्कृत एवं संस्कृति विषयक प्राचीन ग्रन्थों की उपलब्धता के कारण ही पास ही में अवस्थित राजस्थान विश्वविद्यालय से भी अनेकानेक शिक्षकों द्वारा इस पुस्तकालय का लाभ लिया जाता है.
निरन्तर परिवर्तित होते शैक्षिक वातावरण को दृष्टिगत कर यह पुस्तकालय शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की सुसंगत और सुव्यवस्थित विधि से आवश्यकतापूर्त्ति करता है.
वर्तमान में यह पुस्तकालय वाचनालय के साथ ही internet हेतु high speed fibre connection, Reprography जैसी सुविधाओं से भी सुसज्जित है.
पुस्तकालय में शिक्षक शोधार्थियों को ई-जर्नल सुविधा प्रदान करने हेतु INFLIBNET N-List का subscription भी है, जिस पर शिक्षकों एवं महाविद्यालय के शोधार्थियों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित e journals के लिए access प्रदान की गयी है. पुस्तकालय और इसकी समस्त कार्य प्रणाली को digitalize करने के हेतु समस्त ग्रन्थ संग्रह को ऑनलाइन किए जाने की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है. शीघ्र ही पुस्तकालय का विशाल ग्रन्थ संग्रह उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन ही उपलब्ध होने लगेगा और समस्त कार्य ऑनलाइन ही सम्पादित होने लगेंगे.
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